राष्ट्रीय सनातन पार्टी

राष्ट्रीय सनातन पार्टी भारत निर्वाचन आयोग से पंजीकृत एकमात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी हैं जोकि सनातन को संवैधानिक संरक्षण दिलाकर भारत को संसार का सबसे शक्तिशाली व सम्पन्न राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।श्री विश्वजीत सिंह अनंत जी इस पार्टी के संस्थापक/अध्यक्ष हैं।

“बहु विधान नहीं, संविधान चाहिए।

विदेशी नहीं, स्वदेशी व्यवस्था चाहिए।”

राष्ट्रीय सनातन पार्टी का ध्येय वाक्य है “राष्ट्रहित सर्वोपरि”। इसका अभिप्राय है कि हमारी पार्टी और भावी सरकार जो भी निर्णय लेगी वे व्यक्ति, समाज, मत, पंथ, सम्प्रदाय, जाति, क्षेत्र आदि के हितों से ऊपर उठकर केवल राष्ट्र हित में किये जायेंगे। सभी निर्णय समानता के सिद्धान्त पर किये जायेंगे। जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव या पक्षपात किसी के साथ नहीं किया जायेगा। ईसाईंयों, बौद्धों व मुस्लिमों के मजहब के समान सनातन धर्म को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया जायेगा।

हम सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सुधारों को प्राथमिकता देगे। चुनाव शुद्धिकरण(Electroral Reform) करके राजनेताओं द्वारा चुनाव में किए गए वादे, चाहे वे घोषणा पत्र के रूप में हों अथवा मंच पर जनता को अपने पक्ष में लाने के लिए किए गए हों, उन्हें एक कानूनी अभिलेख(Legal Documents) बनाया जाएगा।

स्त्री सशक्तिकरण के लिए राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढाई जाएगीं। बच्चों को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा अनिवार्य व नि:शुल्क दी जाएगी। इतिहास का पुनर्लेखन कराया जाएगा। मूल्यों पर आधारित भारतीय भाषाओं में सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था बनायी जायेगी। विज्ञान, गणित, तकनीकी, प्रबंधन, अभियन्त्रिकी, चिकित्सा व प्रशासकीय आदि सभी प्रकार की शिक्षा राष्ट्रभाषा, संस्कृत व अन्य प्रादेशिक भारतीय भाषाओं में ही दिया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। विद्यालयों में चरित्र निर्माण शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य की जायेगी।

देश के प्रत्येक नागरिक को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएगी। आयुर्वेद, पंचगव्य, योग, प्राकृतिक, सिद्ध व यूनानी आदि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर अनुसन्धान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित किया जाएगा।

भारत में चल रहे ब्रिटिश उपनिवेशिक शासन के समस्त कानूनों को बदला जायेगा। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक सौ रूपये से अधिक बड़े नोटों का प्रचलन बंद किया जाएगा। भ्रष्टाचार, बलात्कार, दहेज हत्या, गौहत्या, आतंकवाद व मिलावट करने वालों के विरूद्ध मृत्युदण्ड का कानून बनाकर समस्त भारतीयों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। देश में फास्ट ट्रेक कोर्ट बनवाकर एक से तीन माह में तुरन्त न्याय की व्यवस्था की जाएगी। देश के नागरिकों के लिए एक दंड संहिता बनाई जायेगी तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून, अर्थ व कृषि व्यवस्था का पूर्ण भारतीयकरण व स्वदेशीकरण किया जाएगा।

स्वदेशी अर्थ व्यवस्था की ऐसी नीतियाँ बनायी जाएगी जिससे रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न हो तथा रुपये का अवमूल्यन रुके, रूपये को डालर व पौंड के बराबर लाया जा सकें, जो लगभग 15 अगस्त 1947 के समय में था। लघू उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा तथा चीन की तरह ही अपने देश के युवाओं को व्यापार करने के लिए एकल खिड़की तंत्र प्रणाली (One Window system Develop) करेगे ताकि लोगों को व्यापार करने के लिए आवश्यक पूँजी और संसाधन सरलता से उपलब्ध हो सकें।

किसान आयोग का पुनर्गठन करके कृषि के औद्योगीकरण, खाद्य-प्रसंस्करण व फसलों के मूल्यांकन की एक स्वस्थ व नई नीति बनायी जाएगी, जिससे खेती को लाभ का व्यवसाय बनाया जा सके, गाँवों से पलायन रूके, साथ ही किसान आत्महत्या के लिए मजबूर न हो। तथा किसानों को उनकी लागत का कम से कम दो गुना मूल्य मिल सके।

देश के छात्र-छात्राओं को सैन्य शिक्षा दिया जाना अनिवार्य करेगे, जिससे सैनिकों की कमी नहीं रहेगी। सेना में अग्निवीरों को स्थाई नियुक्ति दी जायेगी। सैनिक और अर्धसैनिक बलों तथा पुलिस के जवानों को अत्याधुनिक शस्त्र और ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे कि हमारी सेना और हमारे जवान हर स्थिति से निपटने के लिए सक्षम हों। सेना सहित सभी शासकीय सेवाओं में पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जायेगा।

सभी सार्वजनिक सेवाओं, सारे विभाग, तथा पूरी सार्वजनिक प्रणाली का उपयोग आम जनता के उत्थान के लिए किया जाए। सभी नागरिकों को भूमि, जल, जंगल पर अधिकार मिले, सड़क, पानी और बिजली की आपूर्ति, संचार, परिवहन, सुरक्षा, बीमा, बैंकिंग, पेंशन, आवास, शिक्षा और चिकित्सा जैसी उचित व अनिवार्य सुविधाएं सरलता से मिल सकें।

कृषि, व्यापार, वाणिज्य, उद्योग, पर्यावरण तथा सैन्य क्षेत्र सभी में एक सशक्त समन्वय हो ताकि किसी का अहित किए बिना सभी क्षेत्रों में उन्नति हो सके। सभी नागरिकों को अपने अधिकार और कर्तव्यों की पूरी जानकारी हो तथा वे अपनी क्षमताओं का उपयोग राष्ट्र निर्माण में कर सकें।

संक्षेप में हम राष्ट्रीय सनातन पार्टी के द्वारा इस देश की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्थाओं का परिवर्तन करके बेरोजगारी, गरीबी, भूख, अभाव, अशिक्षा व असुरक्षा से मुक्त स्वस्थ, समृद्ध, शक्तिशाली एवं संस्कारवान भारत का पुनर्निर्माण करेगे। वर्तमान व्यवस्था भ्रष्ट है परन्तु इसमें राष्ट्रभक्त, ईमानदार व चरित्रवान लोग भी है, हम उनका हृदय से सम्मान करते है और आवाह्न करते है कि वे सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन, राजनैतिक शुचिता तथा भारत के पुर्नोत्थान के लिए अधिक से अधिक संख्या में पार्टी से जुड़ें। राष्ट्रीय सनातन पार्टी आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करती हैं।

स्वतंत्र व पारदर्शी राजनीति के लिए राष्ट्रीय सनातन पार्टी के साथ जुड़कर कार्य करें।

"एष: सनातन संस्कृतिस्य संवाहकम्" ये हैं सनातन संस्कृति के संवाहक

श्री किरण सिंह गुरूजी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

श्रीमती माया देवी जी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

श्री उदयवीर सिंह जी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

श्रीमती मुनेश देवी जी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

श्री राजेश कुमार गंगवार जी
राष्ट्रीय महासचिव

श्रीमती साधना कुमारी जी
राष्ट्रीय सचिव

श्रीमती मीनाक्षी देवी जी
राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री

श्रीमती सरिता मिश्रा जी
राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री

श्रीमती ज्योति चौधरी जी
राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री

श्री अशोक कुमार जी
राष्ट्रीय व्यवस्था मंत्री

श्रीमती तनु शर्मा जी
राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी

श्री विनय प्रताप सिंह जी
अध्यक्ष. बिहार प्रदेश

श्री बाल किशन जी
प्रभारी, मध्यप्रदेश

श्री चन्द्रभान मिन्हास जी
प्रभारी, हिमाचल प्रदेश

श्री नल्ला विनीत रेड्डी जी
प्रभारी, तेलंगाना प्रदेश

कुमारी रीत चौधरी जी
प्रभारी, महिला मोर्चा

श्री निलरतन कुमार जी
संगठन महामंत्री, बिहार प्रदेश

श्री आचार्य उमेश चन्द्र शर्मा जी
संगठन महामंत्री, उत्तर प्रदेश

श्रीमती कविता शर्मा जी
संगठन महामंत्री, दिल्ली प्रदेश

स्वस्थ, समृद्ध, शक्तिशाली एवं संस्कारवान भारत के लिए राष्ट्रीय सनातन पार्टी से जुड़े।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र से प्रत्यक्ष लोकतंत्र की ओर

लोकतंत्र सरकार का वह रूप है जिसमें सर्वोच्च सत्ता लोगों के हाथों में होती है। एक लोकतांत्रिक देश में, प्रत्येक नागरिक के पास एक वोट होता है, जिसे सरकार की नीति के पक्ष में या उसके विपक्ष में वोट दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, लोकतंत्र में, नागरिकों की प्रतिक्रिया सरकार की नींव के रूप में कार्य करती है। यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के रूप में हो सकता है। 

प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy) जिसे शुद्ध लोकतंत्र या सहभागी लोकतंत्र भी कहा जाता है, उस प्रणाली को संदर्भित करता है जिसमें नागरिकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार होता है। वहां पर सारे छोटे बड़े निर्णय जैसे कोई बिल पास कराना, बजट पास कराना, संविधान में संशोधन, कोई नया कानून बनाना आदि जनता द्वारा ही लिए जाते हैं। इसके लिए जनमत कराया जाता है जिसे अंग्रेजी में रेफरेंडम के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में प्रत्यक्ष लोकतंत्र स्विट्जरलैंड में देखा जा सकता है। जहां पर जनता मत द्वारा नियम कानून में संशोधन करती है, बजट पास करती है इत्यादि।

इसके विपरीत, अप्रत्यक्ष लोकतंत्र (Indirect Democracy) में सारे निर्णय जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बार-बार चुनाव रेफरेंडम नहीं कराना पडता बस एक निश्चित अवधि के बाद ही चुनाव होते हैं। इस प्रकार के लोकतंत्र में प्रतिनिधि चुने जाने के बाद जनता के प्रति उनका दायित्व समाप्त हो जाता है। दुर्भाग्य से यह व्यवस्था हमारे अपने भारत देश में है जो हमारी प्राण प्रिय भारत माता की आत्मा को कचोटती है। इस अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का सबसे बडा दोष यही हैं कि एकबार प्रतिनिधि चुन लिए गए राजनेता अपनी स्वेच्छा से कानून बनाकर देश की जनता पर आरोपित कर देते हैं।

सत्ता-हस्तांतरण के पूर्व से ही भारत में लोकतंत्र के नाम पर लूटतंत्र चल रहा हैं- पहले गोरे अंग्रेज लूटते थे, अब काले अंग्रेज लूटते हैं। देश के विधान में विदेशी आक्रांताओं व लुटेरों की संस्कृति इस्लाम, ईसाईं इत्यादि मतों मजहबों को विशेष संरक्षण दे दिया गया, जबकि देश के बहुसंख्यक हिंदुओं से इस विषय में कोई मत कभी नहीं माँगा गया, और न ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज ने उनकों ऐसा करने के लिए कभी कहा था। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बहुसंख्यक हिन्दू समाज के धार्मिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया। समाज को सामान्य, पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व आदिवासी के वर्गों की गहरी खाई खोदकर तथा हजारों जातियों में बांटकर निर्बल कर दिया गया।

गौहत्यारों का वध करके राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा करने वाले बहुसंख्यक समाज के वीरों का सार्वजनिक अभिनंदन करने के स्थान पर उन्हें गौरक्षक गुण्डे कहकर अपमानित व दण्डित किया जाता हैं, जबकि गौमाता भारतीय सनातन संस्कृति के प्राण हैं। हिन्दुओं की धार्मिक शिक्षा को प्रतिबंधित किया गया हैं। हिन्दुओं की प्राचीन न्याय व्यवस्था को अमान्य कर दिया गया हैं। हिन्दू मंदिरों का धन गरीब हिन्दुओं के उत्थान में न लगाकर, विधर्मियों के हित में लगाया जा रहा हैं। इनके अतिरिक्त भी बहुत कुछ अन्याय देश के बहुसंख्यक समाज के साथ किया जा रहा हैं।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में किसी भी तरह से एकबार चुनाव जीतने के बाद राजनेता स्वयं को भगवान समझने लगते हैं, मन मर्जी के कानून बनाकर देश की जनता पर आरोपित कर देते हैं। जबकि देश की जनता ने ऐसा करने की कोई मांग नहीं की होती। अब नए कृषि कानूनों को ही ले लीजिए, व्यापारिक समूहों के निर्देश पर सरकार ने कानून बना दिये। यदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र होता तो किसानों से पूछा जाता कि क्या वे इस तरह के कानून को बनवाना चाहते हैं ? वोटिंग होती। किसान यदि अस्वीकार कर देते, तो यह विषय समाप्त हो जाता और यदि समर्थन में अधिक मत मिलते, तो इस विषय में कोई प्रगति हुई होती। क्योंकि सरकार केवल प्रबन्धन के लिए रखी जाती है। सरकार देश की भाग्य विधाता नहीं होती। लेकिन इस अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में तो पांच वर्ष ये लोग भाग्य विधाता की तरह ही कार्य करते हैं, अब तो समलैंगिक व्यभिचार व अवैध संबंधों को भी वैधानिक किया जा चूका हैं। ऐसे- ऐसे कानून बना दिए गए हैं, जो समाज की मर्यादा के प्रतिकूल हैं। साथ ही देश के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं को देश के नायक घोषित करके उनको महिमामंडित किया जा रहा हैं।

यदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र होता तो ऐसा अन्याय किया जाना कदापि संभव नहीं होता। राष्ट्रीय सनातन पार्टी अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रत्यक्ष लोकतंत्र में बदलने के लिए कृतसंकल्प हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में सरकार की नीतियों, कानूनों और अन्य मुद्दों से संबंधित निर्णय जनता द्वारा लिए जाते हैं। जागरूक भारतीय नागरिक आगे आये, राष्ट्रीय सनातन पार्टी से जुड़े, दायित्व लें और तन, मन, धन लगाकर व्यवस्था परिवर्तन के इस आन्दोलन को जन आन्दोलन का रूप दें।

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