अर्थ व्यवस्था

अर्थ व्यवस्था

अर्थ व्यवस्था किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी होती है। यदि किसी देश की सम्पन्नता का आंकलन करना हो तो वहाँ के व्यापारियों को देखकर वहाँ की सम्पन्नता का आंकलन किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सनातन पार्टी की सरकार बनने पर स्वदेशी अर्थ व्यवस्था की ऐसी नीतियाँ बनायी जाएगी जिससे किसान व व्यापारी सम्पन्न बने, रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न हो तथा रुपये का अवमूल्यन रुके, रूपये को डालर व पौंड के बराबर लाया जा सकें, जो लगभग 15 अगस्त 1947 के समय में था।लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा तथा चीन की तरह ही अपने देश के युवाओं को व्यापार करने के लिए एकल खिड़की तंत्र प्रणाली(One Window system)विकसित करेगे ताकि लोगों को व्यापार करने के लिए आवश्यक पूँजी और संसाधन सरलता से उपलब्ध हो सकें।

स्वदेशी अर्थव्यवस्था को अपनाकर अर्थात दूसरे देशों में निर्यात बढाकर एवं आयात घटाकर प्रतिवर्ष कम से कम 20 से 30 लाख करोड़ रूपये विदेशी मुद्रा भारत में लाकर राष्ट्र को समृद्ध व वैभवशाली बनाएगे।

गौवंश आधारित अर्थव्यवस्था का तंत्र विकसित करके गौमूत्र व गौबर से दवाइयां, खाद व भवन निर्माण सामग्री निर्मित की जाएगी तथा गौबर गैस का उपयोग घर की रसोई में खाना पकाने से लेकर वाहनों को चलाने तक में किया जाएगा, जिससे पेट्रोल, डीजल व गैस के लिए विदेशी निर्भरता तो कम होगी, साथ ही देश की मुद्रा देश में रहेगी, जिससे भारत के किसान भी सम्पन्न हो जाएगे।

राष्ट्रीय सनातन पार्टी की सरकार भारत की कर नीति में बड़ा बदलाव करके उसे कम करेगी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को घाटे से निकालकर लाभ में लाने के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप)पर काम किया जाएगा ताकि शीघ्र से शीघ्र भारत को कर मुक्त राष्ट्रबनाया जा सके।

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