शिक्षा व्यवस्था

शिक्षा व्यवस्था

किसी भी राष्ट्र की उन्नति में शिक्षा का महत्व सर्वाधिक होता हैं। पवित्र वेद शास्त्रों में विद्या की महिमा बताई गयी हैं, वे समस्त मानव जाती को शिक्षित, सुसंस्कृत व संगठित होने का आदेश देते हैं। राष्ट्रीय सनातन पार्टी की सरकार शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देगी। मूल्यों पर आधारित संस्कारों के साथ भारतीय भाषाओं में सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था बनायी जायेगी। विज्ञान, गणित, तकनीकी, प्रबंधन, अभियन्त्रिकी, चिकित्सा व प्रशासकीय आदि सभी प्रकार की शिक्षा राष्ट्रभाषा, संस्कृत भाषा व अन्य प्रादेशिक भारतीय भाषाओं में ही दिया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। ऐसा होने पर एक गरीब मजदूर व किसान के पुत्र-पुत्री भी डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वैज्ञानिक, आई.ए.एस, आई.पी.एस. व अधिकारी बन सकेगे तथा देश के सभी लोगों को समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिल सकेगा ।

भारत में चल रही शिक्षा पद्धति का प्रारूप 200 वर्ष पूर्व टी.बी.मैकाले द्वारा भारत को सदियों तक गुलाम रखने के लिए किया गया था।मैकाले इस सत्य को भली – भांति जानता था कि हीन चरित्र के लोग कभी भी उच्च चरित्र के लोगों को गुलाम नहीं बना सकते। मैकाले जानता था कि भारत में लागू की गई अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थी रंग, रक्त व शरीर से भारतीय और विचार, आचरण, मान्यताओं व आत्मा से अंग्रेज हो जायेगें। मैकाले द्वारा निर्मित भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में भारतीयों के स्वाभिमान व आत्मसम्मान को नष्ट करने के लिए तथा देश के बच्चों का नैतिक व चारित्रिक पतन करने हेतु हम भारतीयों के मन मस्तिष्क में बचपन से ही अपने पूर्वजों के ज्ञान, जीवन व चरित्र के बारे में एक षड़यन्त्र के तहत झूठी, मनगढंत, निराधार व अपमानजनक बातें पढ़ाई जा रही है, जिससे हम भारतीय हर बात में विदेशी लोगों के विचार, दर्शन और संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानकर स्वयं से व अपने पूर्वजों से घृणा करने लगते है। सत्ता-हस्तांतरण के इन सात दशकों के बाद भी यह घृणित व अपमानजनक षड़यन्त्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में एक कलंक की तरह आज तक जारी है। राष्ट्रीय सनातन पार्टी इस षड़यन्त्र को पूरी तरह समाप्त कराकर सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण कराएगी।

तथ्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुर्नलेखन कराया जाएगा।विवादस्पद प्राचीन भवनों की जाँच कराकर उनके निर्माण का श्रेय उनके वास्तविक निर्माताओं को देगे, जिससे भारत का सुप्त स्वाभिमान जाग्रत होगा।भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में विदेशी सत्ताओं का साथ देकर देश के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं की संदेहस्पद भूमिका की निश्पक्ष जांच करायी जाएगी तथा उनके नाम पर संचालित योजनाओं का नाम परिवर्तन किया जाएगा।

किसी भी तरह की शिक्षण संस्था में, वो संस्था सरकारी हो अथवा निजी, सभी बच्चों को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा नि:शुल्क दिया जाना अनिवार्य किया जाएगा।

भारत में विज्ञान व इतिहास की कालजयी परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए तथा कालगणना के लिए युगाब्ध को अपनाकर राष्ट्रीय पंचांग के रूप में लागूकिया जायेगा।

केन्द्रिय परीक्षाओं में अंग्रेजी प्रश्नपत्र की अनिवार्यता समाप्त करके संस्कृत, हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं को वैकल्पिक आधार प्रदान किया जायेगा।

राष्ट्रीय सनातन पार्टी की सरकार बनने पर संस्कृत भाषा के लिए विशेष प्रोत्साहन नीति बनायी जाएगी, उसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जायेगा तथा संस्कृत माध्यम से संस्कृत शिक्षा दी जाएगी। प्रत्येक राज्य में एक – एक केन्द्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।

संस्कृत में व्यवसायिक, रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रमों का निर्माण किया जाएगा व संस्कृत में रोजगार के अधिक अवसरों को उपलब्ध कराया जाएगा, तथा दूरदर्शन संस्कृत की स्थापना की जाएगी।

विद्यालयों में चरित्र निर्माण शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य की जायेगी।                         

राष्ट्रीय सनातन पार्टी का संकल्प है कि हमें भारत को संसार का सर्वाधिक सशक्त और समृद्ध देश बनाना है, इसलिए हम भारत की शिक्षा नीति को व्यवहारिक बनाएगे।बच्चों को बचपन से ही चरित्र निर्माण के लिए योग, स्वास्थ्य, ललित कला, संगीत, स्वदेशी भोजन, ऋतुचर्या, औषधि, गौसेवा, खगोल, ज्योतिष, रसायन आदि प्राचीन भारतीय विद्याओं का क्रियात्मक व व्यवहारिक प्रशिक्षण विद्यालयों में दिया जाना अनिवार्य करेगे, साथ ही अपने देश की राष्ट्रभाषा, मातृभाषा एवं संस्कृतभाषा, संस्कृति एवं संस्कारों के प्रति आत्म गौरव का भाव जागृत करेंगे एवं भारत के गौरवशाली स्वर्णिम अतीत के बारे में बच्चों को बताकर उनमें स्वाभिमान का भाव भरेंगे।हम विद्यालयों/महाविद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा लागू करेगे जिससे की छात्र/छात्रा पढ़ लिखकर अपना कोई व्यवसाय कर सके। विद्यार्थियों को इतना सक्षम बनाया जाएगा कि वे विद्यालयों/महाविद्यालयों में ही अपने पैरों पर खड़े हो सके। साथ ही विद्यालयों/महाविद्यालयों में सैन्य शिक्षा को अनिवार्य किया जायेगा। भारत की शिक्षा नीति गुरूकुल पद्धति पर हो तथा गुरूकुल की सभी अच्छी बातों का समावेश भारत की शिक्षा नीति में हो जिससे की आने वाली पीढ़ी का बौद्धिक विकास के साथ साथ चरित्र निर्माण भी हो।

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