
शिक्षा व्यवस्था
किसी भी राष्ट्र की उन्नति में शिक्षा का महत्व सर्वाधिक होता हैं। पवित्र वेद शास्त्रों में विद्या की महिमा बताई गयी हैं, वे समस्त मानव जाति को शिक्षित, सुसंस्कृत व संगठित होने का आदेश देते हैं। राष्ट्रीय सनातन पार्टी की सरकार शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देगी।
मूल्यों पर आधारित संस्कारों के साथ भारतीय भाषाओं में सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था बनायी जायेगी। विज्ञान, गणित, तकनीकी, प्रबंधन, अभियन्त्रिकी, चिकित्सा व प्रशासकीय आदि सभी प्रकार की शिक्षा राष्ट्रभाषा, संस्कृत भाषा व अन्य प्रादेशिक भारतीय भाषाओं में ही दिया जाना सुनिश्चित किया जायेगा।
ऐसा होने पर एक गरीब मजदूर व किसान के पुत्र-पुत्री भी डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वैज्ञानिक, आई.ए.एस, आई.पी.एस. व अधिकारी बन सकेगे तथा देश के सभी लोगों को समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिल सकेगा।
भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में भारतीयों के स्वाभिमान व आत्मसम्मान को नष्ट करने के लिए तथा देश के बच्चों का नैतिक व चारित्रिक पतन करने हेतु हम भारतीयों के मन मस्तिष्क में बचपन से ही अपने पूर्वजों के ज्ञान, जीवन व चरित्र के बारे में एक षड़यन्त्र के तहत झूठी, मनगढंत, निराधार व अपमानजनक बातें पढ़ाई जा रही है, जिससे हम भारतीय हर बात में विदेशी लोगों के विचार, दर्शन और संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानकर स्वयं से व अपने पूर्वजों से घृणा करने लगते है।
यह घृणित व अपमानजनक षड़यन्त्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में एक कलंक की तरह जारी है। राष्ट्रीय सनातन पार्टी इस षड़यन्त्र को पूरी तरह समाप्त कराकर सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण कराएगी।
तथ्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुर्नलेखन कराया जाएगा।
विवादस्पद प्राचीन भवनों की जाँच कराकर उनके निर्माण का श्रेय उनके वास्तविक निर्माताओं को देगे, जिससे भारत का सुप्त स्वाभिमान जाग्रत होगा।
भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में विदेशी सत्ताओं का साथ देकर देश के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं की संदेहस्पद भूमिका की निश्पक्ष जांच करायी जाएगी तथा उनके नाम पर संचालित योजनाओं का नाम परिवर्तन किया जाएगा।
किसी भी तरह की शिक्षण संस्था में, वो संस्था सरकारी हो अथवा निजी, सभी बच्चों को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा नि:शुल्क दिया जाना अनिवार्य किया जाएगा।
भारत में विज्ञान व इतिहास की कालजयी परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए तथा कालगणना के लिए श्रीकृष्ण संवत को अपनाकर राष्ट्रीय पंचांग के रूप में लागू किया जायेगा।
सनातन वैदिक शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा तथा अनुच्छेद 30 को संशोधित कर हिंदूओं को भी अपने स्वायत्त शिक्षण संस्थान स्थापित एवं संचालित करने का मौलिक अधिकार मिलेगा।
सरकारी नौकरी में वैदिक शिक्षा की स्वीकार्यता को बढ़ावा दिया जायेगा।
भारतीय मनीषियों द्वारा किये गए शोध और खोज को उन्हीं के नाम से पुस्तकों में पढ़ाया जाएगा। उनका श्रेय उन विदेशियों को नहीं दिया जाएगा जिन्होंने उनके कार्यों को चुरा कर, उसे अपने नाम से प्रकाशित किया हो।
मातृ भाषा में शिक्षा को प्राथमिकता, उच्च शिक्षा की पढ़ाई भी मातृ भाषा में उपलब्ध कराई जाएगी। कक्षा 10 तक संस्कृत अनिवार्य होगी।
केन्द्रिय परीक्षाओं में अंग्रेजी प्रश्नपत्र की अनिवार्यता समाप्त करके संस्कृत, हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं को वैकल्पिक आधार प्रदान किया जायेगा।
संस्कृत भाषा के लिए विशेष प्रोत्साहन नीति बनायी जाएगी, उसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जायेगा तथा संस्कृत माध्यम से संस्कृत शिक्षा दी जाएगी।
प्रत्येक राज्य में एक– एक केन्द्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
संस्कृत में व्यवसायिक, रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रमों का निर्माण किया जायेगा एवं संस्कृत में रोजगार के अधिक अवसरों को उपलब्ध कराया जाएगा।
दूरदर्शन संस्कृत की स्थापना की जाएगी।
विद्यालयों में चरित्र निर्माण शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य की जायेगी।
राष्ट्रीय सनातन पार्टी का संकल्प है कि हमें भारत को संसार का सर्वाधिक सशक्त और समृद्ध देश बनाना है, इसलिए हम भारत की शिक्षा नीति को व्यवहारिक बनाएगे।
बच्चों को बचपन से ही चरित्र निर्माण के लिए योग, स्वास्थ्य, ललित कला, संगीत, स्वदेशी भोजन, ऋतुचर्या, औषधि, गौसेवा, खगोल, ज्योतिष, रसायन आदि प्राचीन भारतीय विद्याओं का क्रियात्मक व व्यवहारिक प्रशिक्षण विद्यालयों में दिया जाना अनिवार्य करेगे, साथ ही अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा एवं संस्कृतभाषा, संस्कृति एवं संस्कारों के प्रति आत्म गौरव का भाव जागृत करेंगे एवं भारत के गौरवशाली स्वर्णिम अतीत के बारे में बच्चों को बताकर उनमें स्वाभिमान का भाव भरेंगे।
हम विद्यालयों/महाविद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा लागू करेगे जिससे की छात्र/छात्रा पढ़ लिखकर अपना कोई व्यवसाय कर सके। विद्यार्थियों को इतना सक्षम बनाया जाएगा कि वे विद्यालयों/महाविद्यालयों में ही अपने पैरों पर खड़े हो सके। साथ ही विद्यालयों/महाविद्यालयों में सैन्य शिक्षा को अनिवार्य किया जायेगा।
भारत की शिक्षा नीति गुरूकुल पद्धति पर होगी तथा गुरूकुल की सभी अच्छी बातों का समावेश भारत की शिक्षा नीति में होगा जिससे की आने वाली पीढ़ी का बौद्धिक विकास के साथ साथ चरित्र निर्माण भी होगा।
NCERT की सभी पुस्तकों का पुनः निरीक्षण तथा भारतीय इतिहास का पुनर्तेखन किया जायेगा।
संविधान में संशोधन कर एक देश-एक शिक्षा बोर्ड बनाया जायेगा। पूरे देश में एक-समान शिक्षा प्रणाली लागू होगी तथा मदरसा शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त किया जायेगा।
कोचिग शिक्षा प्रणाली को हतोत्साहित किया जायेगा।
लोक सेवा आयोग (UPSC) की तर्ज पर शिक्षक भर्ती आयोग का गठन किया जायेगा। शिक्षकों के सम्मान को राष्ट्र-निर्माता के रूप में स्थापित किया जायेगा।
शिक्षा में ठेका प्रणाली बंद होगी और सभी शिक्षकों को स्थायी नौकरी मिलेगी। सरकारी स्कूलों और सरकारी विश्व विद्यालयों के शिक्षा और आधारभूत संरचना के स्तर में विश्व-स्तर का बदलाव करेंगे।
मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई में डोनेशन को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा तथा उनकी पढ़ाई को मातृभाषा में प्रोत्साहित किया जायेगा।
भारतीय मौलिक चिंतन को प्रोत्साहन दिया जाएगा तथा उस पर शोध करने के लिए एक अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र स्थापित किया जाएगा। भारतीय कला और साहित्य को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मानविकी (Arts) की पढ़ाई में शोध को विश्व स्तरीय बनाया जायेगा तथा मानविकी से मौलिक विषय पर PhD करने वालों को केवल एक परीक्षा के आधार पर सिविल सेवा में सीधे भर्ती किया जायेगा।
प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन) को रोकने के लिए योजनाएं लाई जाएंगी। सरकारी संस्थानों से निकलने वाले छात्रों को दूसरे देशों में स्थानांतरित होने से पहले कम से कम 3 वर्षों तक अपने देश में ही सेवा देनी होगी।
भारत वर्ष सनातन एवं वैदिक सभ्यता का मूल इतिहास NCERT कोर्स में शामिल किया जाएगा।
ओलंपिक एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में अमेरिका, रूस, चीन, और जापान स्तर की सुविधाएं खिलाड़ियों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
BCCI एवं अन्य खेल संघों में बड़े पद कर केवल उस खेल को खेलने और समझने वाले खिलाड़ी ही प्रशासनिक पदों के लिए पात्रता रखेंगे।
राजनेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और उनके परिवार के लोगों का खेल से जुड़े विभिन्न संगठनों में हस्ताक्षेप बंद कराया जायेगा।
ग्राम स्तर तक खेल-कूद की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राएं भी एशियाड, ओलिंपिक आदि प्रतियोगिताओं के लिए तैयार हो सकें।